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सोमवार, नवंबर 23, 2009

"अपनी जान की सुरक्षा में चूक न होने दें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

जी हाँ!
ये तस्वीरें कुछ बोलती हैं।
उत्तराखण्ड में स्वाइन-फ्लू दस्तक दे चुका है।


नगर की रौनक बदहाल है। गहमा-गहमी से भरी सड़कें सूनी-सूनी हो गईं हैं। 

स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुफ्त मास्क  बाँटे जा रहे हैं।
आनन-फानन में यह अपील जारी की गई।


मगर,
बाघ (शेर) से बजाव के लिए कोई उपाय नही सुझाये जा रहे हैं।
आइए- एक जागरूक नागरिक होने के नाते मैं ही आपको बाघ (शेर) से बचाव के कुछ उपाय बताता हूँ-
1- वन विभाग को आदमखोर शेर को पकड़ने के लिए टीम गठित करनी चाहिए।
2- महिलाएँ घने जंगलों में घास और लकड़ी काटने न जाये।
3- अकेले जंगल में न जाएँ।
4- जंगल के किनारे बने घरों में रात को दरवाजे ठीक से बन्द करके सोयें।
5- बच्चों को अपनी नजर से ओझल न होने दें।
6- रात में गौशाला में और बकरी-बाड़ों मे जानवरों को बन्द रखें और उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यकरूप से दरवाजे जरूर बन्द कर दें।
7- विभाग को शेर के छिपने के ठिकानों के बारे में सूचना देने में कोताही न करें।
8- अपनी जान की सुरक्षा में चूक न होने दें।

मेशा याद रखें, आपका जीवन अनमोल है। 
आपके परिवार को आपकी आवश्यकता है।

बुधवार, नवंबर 18, 2009

"साहित्यकार और सम्पादक वाचस्पति जी के साथ एक दिन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

हिन्दी साहित्य के इंसाइक्लोपीडिया  श्री वाचस्पति जी 
सितम्बर 1988 से जून 1990 तक राजकीय महाविद्यालय, खटीमा  में
हिन्दी-विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे।
राजकीय सेवा से अवकाश प्राप्त करने के पश्चात,
बहुत लम्बे अन्तराल के बाद आप खटीमा पधारे!
प्रस्तुत है उनके साथ गुजरे एक दिन का दिन-नामा।


बुधवार, 18 नवम्बर,2009 प्रातः 8 बजे, 
खटीमा में डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" के निवास पर  प्रातराश (जलपान)


प्रातः 9 बजे 
राजकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय, खटीमा के विभागाध्यक्ष 
डॉ.सिद्धेश्वर सिंह के निवास "हिमाञ्चल" पर



प्रातः 11 बजे

94 वर्षीय वयोवृद्ध साहित्यकार श्री आनन्द प्रकाश रस्तोगी जी के
निवास "प्रभात-फार्म" पर।

(चित्र में-श्री आनन्द प्रकाश रस्तोगी,  श्री वाचस्पति एवं डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


(चित्र में-श्री आनन्द प्रकाश रस्तोगी,  श्री वाचस्पति  जी को विदाई देते हुए।)

सायं 5 बजे
"साहित्यकार और सम्पादक वाचस्पति जी के सम्मान में ब्लागर-मीट का आयोजन"



(चित्र में-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक",श्री रावेंद्रकुमार रवि-सम्पादकःसरस पायस ,श्री वाचस्पति-सम्पादकः आधारशिला (त्रिलोचन विशेषांक) एवं डॉ.सिद्धेश्वर सिंह )

सोमवार, नवंबर 09, 2009

"उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस " (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

राष्ट्रीय मानव कल्याण समिति, खटीमा (उत्तराखण्ड) द्वारा आज 9 नवम्बर को 
"उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस " की 10वीं वर्ष-गाँठ सांस्कृतिक संध्या के रूप में 
मनाई गयी।
इस अवसर पर क्षेत्र की जानी-मानी और नवोदित 
प्रतिभाओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये 
गये।

नीचे के चित्र में थ्री स्टार डांस ग्रुप द्वारा मुख से ज्वाला निकाल कर हैरत-अंगेज कार्यक्रम पेश किया गया।

इस कार्यक्रम के मुख्य-अतिथि खटीमा के उप-जिलाधिकरी बी.एस.चलाल विशिष्ट-अतिथि पुलिस उपाधीक्षक अमित श्रीवास्तव ने सभी उत्तराखण्ड-वासियों को शुभ-कामनाएँ देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड भविष्य में भारत का आदर्श राज्य होगा। 

राष्ट्रीय मानव कल्याण समिति, खटीमा के अध्यक्ष महेश जोशी ने इस अवसर पर समिति के सभी सदस्यों का परिचय कराते हुए कहा कि हम सभी लोग मिलकर राज्य के सभी तबकों के उत्थान के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहेंगे।

गुरुवार, नवंबर 05, 2009

"चीन की सीमा तक जा पाओगे?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

"ला-परवाही का नमूना देख लीजिए"

जी हाँ !
यह वो पुल है जो पिछले दो वर्षों से टूटा पड़ा है। सन् 2007 में बरसात में इसका एक छोर 200 मीटर बह गया था। जगबूढ़ा नदी सड़क काटकर पुल से अलग बहने लगी थी। तीन माह तक चम्पावत जिले का सम्बन्ध सारे देश से कट गया था। टनकपुर डिपो कार्यशाला की आधी बसें टनकपुर डिपो में कैद थी तो आधी बसें पुल के इस पार थीं। जिनके लिए नानकमत्ता बस-स्टैण्ड को अस्थायी कार्यशाला बनाना पड़ा था। परन्तु न तो उत्तराखण्ड सरकार के कान पर जूँ रेंगी तथा न ही केन्द्र सरकार ने इसकी कोई सुध ली।

कई बार डाईवर्जन के रूप में वैकल्पिक मार्ग बना और जगबूढ़ा नदी में पानी बढ़ने के साथ ही वह ध्वस्त होता रहा।
यह पुल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 125 पर खटीमा और बनबसा के मध्य स्थित है। यह भारत के पिथौरागढ़, चम्पावत ही नही अपितु नेपाल की सीमा और चीन की संवेदनशील सीमा को भी जोड़ने वाला एक मात्र मार्ग है।


लगभग दो वर्षों से इसका यही हाल है।
वैकल्पिक मार्ग (डाईवर्जन) नदी में पानी आ जाने के कारण ध्वस्त हो गया था कि चीन की सीमा पर हल-चल बढ़ने लगी। सेना के तो होश फाख्ता हो गये। 
जैसे-तैसे सेना ने 24 घण्टे में पुनः डाईवर्जन तैयार किया।
जितनी बार यह डाईवर्जन बहे हैं और उनको पुनः बनाने में जो लागत खर्च हुई है। उससे तो 2-3 बार नये पुल का निर्माण हो सकता था। मगर इससे लोक निर्माण विभाग और एन.एच. को मलाई नही मिल पाती।
इस पुल के दोनों ओर तो डबल रोड है मगर पुल इतना सँकरा है कि इसमें से केवल एक वाहन ही पास हो सकता है।
भारत-चीन सीमा पर हल-चल बढ़ जाने के कारण मन्थर गति से अब इस पर कार्य होना प्रारम्भ शुरू हो रहा है। परन्तु पुल तो सिंगल ही रहेगा।
अन्त में तो मैं यही कहूँगा कि- 
" मेरा भारत महान"

मंगलवार, नवंबर 03, 2009

"सोच-समझ कर उत्तर दो!" का सही उत्तर (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

पिछली पोस्ट में हमने एक प्रश्न पूछा था!

अभिधा, लक्षणा और व्यञ्जना क्या हैं?
इस प्रश्न का सही उत्तर देने वाले हैं-
Mishra Pankaj ने कहा…
अभिधा, लक्षणा और व्यंजना शब्द-शक्तियाँ हैं। शब्द का अर्थ और बोध कराने वाली शक्ति को शब्द-शक्ति कहते हैं। ये तीन प्रकार की होती हैं।
अभिधा- जिस शक्ति से शब्द अपने स्वाभाविक साधारण बोल-चाल के प्रसिद्ध अर्थ को बताता है उसे अभिधा कहते हैं।
लक्षणा- जहाँ पर वाच्यार्थ का स्पष्ट बोध न हो परन्तु रूढ़ि या प्रयोजन के सहारे उससे सम्बन्धित अन्य अर्थ का बोध हो उसे लक्षणा शक्ति कहते हैं। लक्षणा दो प्रकार की होती है- शुद्धा लक्षणा और गौणी लक्षणा।
व्यंजना- जो अर्थ अभिधा और लक्षणा से न बताया जा सके उसको बताने वाली शक्ति का नाम व्यंजना व्यंजना है। ऐसे शब्द को व्यंजक और अर्थ को व्यंग्य कहते हैं।
व्यंजना शक्ति भी दो प्रकार की होती है- अभिधा मूला व्यंजना और लक्षणा मूला व्यंजना।


ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अभिधा, लक्षणा और व्यंजना शब्द-शक्तियाँ हैं. ये निम्न तीन प्रकार की होती हैं.
उदाहरण सहित देखिये.
अभिधा - से बात का मुख्यार्थ प्रकट होता है. उदाहरणार्थ सुर्य पुर्व दिशा से उदय होता है.
लक्षणा - से लक्ष्यार्थ प्रकट होता है. उदाहरणार्थ लाल पगडी जा रही है या भारत जाग उठा.
व्यंजना- से व्यंग्यार्थ प्रकट होता हैं. उदाहरण के लिये अंधेरा होगया.
रामराम.
वन्दना ने कहा…
अभिधा-------कथन, नाम, शब्द की वह शक्ति जिससे उनके नियत अर्थ ही निकलते हैं ।
लक्षणा-------शब्द की वह शक्ति जो अर्थ क बोध होने पर केवल रूढि के कारण अथवा किसी विशेष प्रयोजन के लिये मुख्य अर्थ से सम्बद्ध किसी दूसरे अर्थ का ज्ञान कराती है ,यह तीन प्रकार की कही गयी है ----अजहत्लक्षणा,जहत्लक्षणा और जहद जहलक्षणा। एक अप्सरा का नाम , शब्द की वह शक्ति जिसके द्वारा उसके अभिप्रेत अर्थ का बोध होता है , हंसी,सारसी ।
व्यञ्जना---------व्यक्त या प्रकट करने की क्रिया या भाव, तीन प्रकार की शब्द शक्तियों में से एक जो अभिधा और लक्षणों के विरत हो जाने पर संकेतार्थ प्रकत करती है ।


Murari Pareek ने कहा…

ये तीनो शब्दों की शक्ति को दर्शाते है| जिन्हें शब्द शक्ति कहा गया है ! यूँ कहिये की शब्दों की शक्ति के ये तीन रूप हैं !
लेकिन Mishra Pankaj  तथा ताऊ रामपुरिया ने उपरोक्त प्रश्न का विस्तार से समझाकर उत्तर लिखा है। 
अतः "साहित्य शारदा मंच" खटीमा (उत्तराखण्ड) द्वारा श्री पंकज मिश्र तथा श्री ताऊ रामपुरिया को "साहित्य-श्री" की उपाधि से अलंकृत करने का निर्णय लिया गया है।
कृपया आप अपना सही डाक-पता और सम्पर्क फोन नम्बर मुझे ई-मेल से भेज दें।
इनके अतिरिक्त विनोद कुमार पांडेयDhiraj ShahSumanGagan Sharma, Kuchh Alag sa , तथा Babli जी ने भी पोस्ट पर टिप्पणी देकर अनुग्रहीत किया

रविवार, नवंबर 01, 2009

"सोच-समझ कर उत्तर दो!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")



अभिधा, लक्षणा और व्यञ्जना क्या हैं?


अपनी टिप्पणियों के माध्यम से स्पष्ट करें।


प्राप्त टिप्पणियों का विश्लेषण करके किसी एक टिप्पणीकार को "साहित्य शारदा मंच. खटीमा उत्तराखण्ड" द्वारा "साहित्य-श्री" की मानद उपाधि से अलंकृत करने का निर्णय किया गया है।
समय-सीमाः 3 नवम्बर,2009 के सायं 6 बजे तक।

कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
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मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।